किसी भी उद्घोषित लक्ष्य की पूर्ति का सतत, सक्षम एवं सुव्यवस्थित प्रयत्न उस को प्राप्त करने हेतु आवश्यक है।किसी आदर्श को साकार करने हेतु एक विशिष्ट प्रक्रिया की आवश्यक ता होती है। ‘शाखा ‘ संघ के सभी कार्यो का अधिष्ठान…
The 4th Estate
अभी अभी हमने समाचार की सुर्खिओ में देखा ही होगा की सिनेमा जगत की बहुचर्चित अभिनेत्री को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी)ने नार्कोटिक ड्रग्स एवं साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, १९८५ की विविध धाराओं के तहत गिरफ्तार किया। ड्रग्स के शिकंजे में फसना…
The vision statement of the New Education Policy 2020, (NEP) formulated by a committee, headed by Dr. Kastury Rangan, foresees a paradigm change in the processes of generation, dissemination, and use of knowledge in society. It aims at a paradigm…
In the Sangh’s working for regeneration and consolidation of Bhartiya society, cultivating character and moral values is given a pride of place. A major focus of the man-making process of Sangh is on the aspect of character moulding.The secret of…
The New Education Policy 2020 is very comprehensive and reflects upon the intention of Government for educational reforms in India with futuristic vision. Broadly the author tends to agree with the concept. However, the past experience gives rise to the…
10 सितंबर यानि विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस जो पुरे विश्वभर में “आत्महत्या को भी टाला जा सकता है” इस संदेश के साथ आत्महत्या के खिलाफ़ जागृकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। विश्व आरोग्य संस्था(WHO) के एक विवरण के…
भारतीय शिक्षा की मूल भावना के सम्बन्ध में विष्णु पुराण में कहा गया है ” असतो मा सद् -गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय ” अर्थात असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर, मृत्यु से अमरता की ओर ले…
It’s been more than three decades; India is following the same education policy. The education policy was formed in 1986 and was last modified in 1992. Since then, several changes have taken place in the economy and the world. In…
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण आज भारत वर्ष एवं समस्त विश्व कई महीनों से संपूर्ण लॉकडाउन की स्थिति में है। अब धीरे-धीरे सरकार ने लॉक डाउन नियमों में ढील देनी प्रारंभ की है, परंतु इस बात पर कोई दो…
आज की जीवन शैली में कर्ज लेना एक आवश्यक अंग बन गया है, जिसके कारण व्यक्ति कर्ज लेता रहता है एवं उस कर्ज को न चुका पाने की स्तिथि में व्यक्ति फिर किसी और से कर्ज ले लेता है…