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Haryana Chief Minister Shri Manohar Lal speaking at HPSC Webinar

लोक सेवाओं में पारदर्शिता एवं निष्पक्ष भर्ती के लिए हरियाणा सरकार का दृढ़ संकल्प: युवाओं के स्वर्णिम भविष्य की सुखद पहल

किसी भी प्रक्रिया को सुनिश्चित करने सुदृढ़ बनाने के लिए जिस प्रकार के बदलावों की आवश्यकता होती है ,उन बदलावों को कार्यान्वित करने के लिए एक दृढ़ शक्ति और संकल्प के साथ प्रशासनिक क्षमता एवं उच्च कोटि की शैक्षणिक क्षमता रखने वाले व्यक्ति को यदि एक लंबे समय के लिए हरियाणा लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया जाए तो भर्ती प्रक्रियाओं के रिफॉर्म्स ज्यादा प्रभावी रूप से सफल होंगे। वर्तमान में एक रिटायर्ड सेवानिवृत्त सिविल सेवा अधिकारी को प्रतिनियुक्त करने पर उसे सिर्फ डेढ़ से 2 वर्ष का कार्यकाल ही मिल पाता है। जब तक उसकी समझ में सभी प्रक्रियाएं आती हैं, 62 वर्ष की आयु पूर्ण होते ही उनका लोक सेवा आयोग से सेवानिवृत्त होने का समय आ जाता है।

4th estate news
राजेश बंसल

हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सरदार वल्लभभाई पटेल लेक्चर सीरीज के तत्वाधान में “लोक सेवा आयोग द्वारा निष्पक्ष भर्तियां: एक संवैधानिक जिम्मेदारी” विषय पर हाल ही में हुए कार्यक्रम में हरियाणा के माननीय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल एवं सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायधीश श्री हेमंत गुप्ता ने अपने विचार व्यक्त किए। हरियाणा लोक सेवा आयोग एवं हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्षों ने गोष्टी के समक्ष अपने विचार रखते हुए भर्ती प्रक्रिया में किस प्रकार पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने का प्रयास किया गया है, इस विषय पर प्रकाश डाला।

निष्पक्ष भर्तियां, राज्य का संवैधानिक कर्तव्य

न्यायाधीश श्री हेमंत गुप्ता ने कहा कि लोक सेवाओं की भर्तियां निष्पक्ष रुप से हो, यह राज्य का संवैधानिक कर्तव्य है। लोक सेवा आयोग अपने काम को सुचारू रूप से चला सके इसलिए संविधान में ही इसका प्रावधान किया गया है और लोक सेवा चयन आयोग के सदस्यों एवं अध्यक्ष को काफी हद तक राजनीतिक दबावों से बचने के लिए प्रतिरोधक क्षमता प्रदान की गई है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष को आसानी से नहीं हटाया जा सकता। उसको हटाने की प्रक्रिया काफी जटिल और लंबी है। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने अपने कार्यकाल के दौरान इस प्रकार के कई मुद्दों पर अपने न्यायिक आदेश दिए हैं, जिससे भर्ती प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में प्रशासन को संवैधानिक बल मिला।

“पर्ची, खर्ची और मर्जी”, सुनियोजित तरीके से समाप्त

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर के अनुसार 6 वर्ष पूर्व जब उन्होंने राज्य की बागडोर संभाली उस समय तथाकथित तौर पर लोक सेवा आयोग भ्रष्टाचार में लिप्त था या हम कहें की जनता में लोक सेवा आयोग की छवि इस प्रकार की बन गई थी। प्रदेश के युवा को हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा की गई भर्ती प्रक्रिया में विश्वास नहीं रहा था क्योंकि उनकी ऐसा अवधारणा बन गई थी कि हरियाणा में भर्ती “बिना पर्ची, बिना खर्ची और बिना मर्जी” नहीं हो सकती है। पिछले 6 वर्षों में सरकार का प्रयास रहा कि पर्ची, खर्ची और मर्जी तीनों को सुनियोजित तरीके से समाप्त कर दिया जाए और इसमें हरियाणा सरकार काफी हद तक सफल भी रही।

भर्ती प्रक्रिया में तकनीक एवं प्रबंधन शास्त्र के उपयोग से काफी सकारात्मक बदलाव लाए गए, जिससे युवाओं का विश्वास भर्ती प्रक्रिया में सुनिश्चित हुआ। मुख्यमंत्री ने हरियाणा की विभिन्न सेवाओं से भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति से संबंधित अपने डिस्क्रीशनरी कोटा को भी समाप्त कर लोक सेवा आयोग को मेरिट के आधार पर पदोन्नति देने के निर्देश दिए। कुल मिलाकर राज्य सरकार के प्रयासों से लोक सेवा आयोग एवं कर्मचारी चयन आयोग ने इस विषय में एक अच्छी पहल की है।

दृढ़ शक्ति और संकल्प के साथ प्रशासनिक क्षमता एवं उच्च कोटि की शैक्षणिक क्षमता

किसी भी प्रक्रिया को सुनिश्चित करने सुदृढ़ बनाने के लिए जिस प्रकार के बदलावों की आवश्यकता होती है उन बदलावों को कार्यान्वित करने के लिए एक दृढ़ शक्ति और संकल्प के साथ प्रशासनिक क्षमता एवं उच्च कोटि की शैक्षणिक क्षमता रखने वाले व्यक्ति को यदि एक लंबे समय के लिए हरियाणा लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया जाए तो भर्ती प्रक्रियाओं के रिफॉर्म्स ज्यादा प्रभावी रूप से सफल होंगे। वर्तमान में एक रिटायर्ड सेवानिवृत्त सिविल सेवा अधिकारी को प्रतिनियुक्त करने पर उसे सिर्फ डेढ़ से 2 वर्ष का कार्यकाल ही मिल पाता है जिस कारण जब तक उसकी समझ में सभी प्रक्रियाएं आती हैं, 62 वर्ष की आयु पूर्ण होते ही उनका लोक सेवा आयोग से सेवानिवृत्त होने का समय आ जाता है।

हमें उम्मीद है कि हरियाणा सरकार अपने इस सराहनीय कदम को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश के युवा के मन में एक दृढ़ विश्वास पैदा करते हुए एक सुदृढ़ निष्पक्ष और पारदर्शी प्रशासनिक सेवाएं देने में सफल होगी।

लेखक, डॉ राजेश बंसल, फोर्थ एस्टेट न्यूज़ के मुख्य कार्यकारी संपादक हैं।

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