कोविड-19 वैक्सिन आज भारत ही नहीं अपितु विश्व भर में घर घर में एक चर्चा का विषय बना हुआ है। लक्ष्य को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां और अफवाहें भी फैलाई जा रही हैं।
विश्व पटल पर यदि देखा जाए तो कुल 203 वैक्सीन प्रत्याशी प्रीक्लिनिकल स्टेज में और 58 वैक्सीन प्रत्याशी क्लिनिकल ट्रायल स्टेज में हैं। इनमें से यदि ट्रायल का फेज देखा जाए तो 11 वैक्सीन प्रत्याशी फेज 3, एक वैक्सीन प्रत्याशी फेज 2/3, चार वैक्सीन प्रत्याशी फेज 2, 17 वैक्सीन प्रत्याशी फेज 1/2 और 25 वैक्सीन प्रत्याशी फेज 1 में है। इन वैक्सीन प्रत्याशियों का सांकेतिक खुदरा मूल्य 35 यूएस डॉलर प्रति डोज से लेकर 10 यूएस डॉलर प्रति डोज तक अनुमानित है।
विश्व और भारतीय पटेल का यदि कोविड-19 के संक्रमण का यदि संक्षिप्त लेखा जोखा देना हो तो इतना कहना पर्याप्त होगा की विश्व के ऊपरी 13 राष्ट्रों, जिनमें अमेरिका, ब्राज़ील, रशिया, फ्रांस, स्पेन, ब्रिटेन, इटली, अर्जेंटीना, कोलंबिया, मैक्सिको, जर्मनी, पोलैंड और ईरान हैं, की कुल आबादी लगभग 136 करोड आंकी गई है। वहीं अकेले भारत की आबादी लगभग 137 करोड़ है। इन 13 देशों में कुल 370 लाख कोविड-19 संक्रमण के मामले प्रकाश में आए हैं वहीं भारत में अभी तक 95 लाख कोविड-19 संक्रमण के मामले प्रकाश में आए हैं। जहां इन 13 देशों में लगभग 9.89 लाख कोविड-19 संक्रमण से संबंधित मृत्यु दर्ज की गई है, वहीं भारत में अभी तक लगभग 1.39 लाख कोविड-19 संक्रमण से संबंधित मृत्यु दर्ज की गई है।
भारत सरकार ने 7 अगस्त, 2020 को नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) की अध्यक्षता और सचिव (स्वास्थ्य मंत्रालय) की सह-अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर पर एक ग्रुप का गठन किया है जिसमें भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, पांच राज्य सरकारों जैसे आसाम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश, तकनीकी सदस्य आदि मनोनीत किए गए हैं। यह राष्ट्रीय ग्रुप वैक्सीन देने के लिए वरीयता सूची, वैक्सीन को खरीदने एवं भंडारण करने के तरीके एवं सुविधाएं, वैक्सीन को चयन करने के मापदंड और प्रक्रियाएं, वैक्सीन की वरीयता सूची के आधार पर डिलीवरी और उसको ट्रैक करने के तरीके आदि पर अपनी सिफारिश करेगा।
जहां भारत विश्व स्तर पर विभिन्न दवाइयों की कंपनियों और शोध संस्थानों के संपर्क में है, वहीं भारत में कई विभिन्न प्रकार के प्लेटफॉर्म्स को यूज करते हुए वैक्सीन बनाने का कार्यक्रम प्रगतिशील है। यह वैक्सीन कई प्रकार के प्लेटफॉर्म्स जैसे रिकंबाइनेंट प्रोटीन आधारित एंटीजन, mRNA आधारित, असक्रिय रैबी वैक्टर आधारित आदि पर बनाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में इन वैक्सीन को बना रही कंपनियों में दौरा कर स्थिति का जायजा भी लिया था।
भारत सरकार ने राज्य सरकारों के सहयोग से विभिन्न गतिविधियां, जो वैक्सीनेशन कार्यक्रम के लिए जरूरी होंगी, उन पर तेजी से कार्य प्रारंभ कर दिया है। कई विषयों पर जैसे आबादी के किस वर्ग को वैक्सीन पहले लगाई जाएगी, उसको कोल्ड स्टोरेज श्रंखला को बनाए रखते हुए कैसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाएगा, कोल्ड स्टोरेज का इंफ्रास्ट्रक्चर कैसे, कहां और कितना बनाया जाएगा, किन केंद्रों और अधिकारीक अस्पतालों के जरिए वैक्सीनेशन की प्रक्रिया कार्यान्वित की जाएगी और क्या वैक्सीन सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों के हिसाब से लगाई जा रही है और काम कर रही है, इस को ट्रैक करने के लिए सॉफ्टवेयर आदि की व्यवस्था जैसे कई विषयों पर काम प्रारंभ कर दिया गया है। भारत सरकार की तत्परता और कटिबद्धता इस पूर्ण विषय को लेकर अति प्रशंसनीय रही है।
संपूर्ण वैक्सीनेशन की प्रक्रिया की सफलता के लिए सरकार को पूर्ण रूप से निर्धारित करना होगा कि जन मानस के मन में जो भ्रांतियां उत्पन्न हो रही हैं उनके लिए एक प्रभावी शैक्षणिक कार्यक्रम चलाया जाए और उन्हें बताया जाए कि वैक्सीन लगाने के फायदे वैक्सीन के कुछ प्रतिकूल प्रभावों से कई गुना अधिक हैं और कोविड-19 जैसी जानलेवा बीमारियों के संक्रमण को रोकने के लिए प्रभावी होंगी। जनमानस को यह भी बताना होगा कि जब जब इस प्रकार की जानलेवा बीमारियों ने मानवता पर हमला किया है, जैसे पोलियो स्माल पॉक्स चिकन पॉक्स आदि उसको वैक्सीन द्वारा ही निरस्त किया गया है। सरकार को वैक्सीन विरोधी और भारत विरोधी तत्वों पर भी नजर बनाए रखनी होगी ताकि वह वैक्सीनेशन के कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न करने में सफल ना हों। और अंत में इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कालाबाजारी और नकली दवाइयां बनाने वाले अपराधिक प्रवृत्ति के सुनियोजित सिंडिकेट नकली वैक्सीन बाजार में ना उतारने पाए और उसके लिए कड़े से कड़ा कानून बनाकर ऐसे लोगों के लिए सजा का प्रावधान किया जाए।
लेखक, डॉ राजेश बंसल, फोर्थ एस्टेट न्यूज़ के मुख्य कार्यकारी संपादक हैं।
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