कोविड-19 की दूसरी लहर से पहले यह माना जा रहा था की छोटी उम्र के बच्चों को संक्रमण होने की संभावना काफी कम या ना के बराबर है। परंतु दूसरी लहर के दौरान यह स्पष्ट हो गया है कि कोविड-19 का वायरस रूपांतरण के बाद ज्यादा संक्रामक हो गया है और छोटी उम्र के बच्चों को भी संक्रमित करने में सक्षम है। इस वर्ग के लगभग 12 लाख विद्यार्थी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं कक्षा की परीक्षाओं में भाग लेंगे। लगभग इससे दोगुने विद्यार्थी, लगभग 24 से 30 लाख, राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं की कक्षा में भाग लेंगे। इस प्रकार कुल मिलाकर लगभग 40 लाख विद्यार्थी एवं उनके माता-पिता आदि 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में भाग लेने के लिए ब्राह्य वातावरण से रूबरू होंगे। 3 घंटे की परीक्षा में बंद कमरे में बैठना, जहां समाजिक दूरी बनाए रखने के बाद भी यदि एक विद्यार्थी भी कोविड-19 वायरस से संक्रमित है, तो पूरी कक्षा को इस 3 घंटे के दौरान संक्रमित कर सकता है। यह संक्रमित विद्यार्थी बाहर जाकर अपने परिवार जनों एवं वाहन चालकों आदि को संक्रमण की एक ना रुकने वाली कड़ी खड़ी कर देंगे जो विभिन्न दिशाओं में तेजी से फैलने में सक्षम होगी। ऐसे माहौल की आशंका के कारण विद्यार्थी एवं उनके अभिभावक गण सरकार से यह मांग कर रहे हैं की 12वीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा को रद्द किया जाए। परंतु जहां सरकार ने दसवीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा को निरस्त कर दिया है वहीं 12वीं कक्षा को लेकर सरकार के कान पर जूं भी नहीं रेंग रही है। ऐसा लगता है कि सरकार इन 17 वर्षीय विद्यार्थियों का पूरा ज्ञान निचोड़ कर निरीक्षण कर के ही अपनी जिज्ञासा को शांत करेगी। सरकार के इस रवैया से विद्यार्थियों में काफी निराशाजनक परिस्थिति बड़ी हुई है। ट्विटर पर चल रहेेेे कई ट्विटर ट्रेंड विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों की चिंताओं को इंगित करते हैं।
Student will go for exams and might return with covid. Exams must be cancelled.#modiji_cancel12thboards pic.twitter.com/TXmZ5knGHC
— Ankita Shah (@Ankita_Shah8) May 17, 2021
https://twitter.com/AyushiDholariya/status/1394230394355011590?s=20
@PMOIndia once again I write to you, hopeful that you will hear our pleas. Sir we stand with you, so please stand with us. Please end the tormenting wait, and #cancelboardexams2021. #Studentlivesmatter #boardexams2021 pic.twitter.com/CGfBfAfJq3
— Siya Tayal (@SiyaTayal) May 16, 2021
सरकार का यह कहना कि सरकार परीक्षा के दौरान समाजिक दूरी एवं कोविड-19 से संबंधित सभी सावधानियां रखते हुए परीक्षाओं का आयोजन करेगी तो इस बात को स्वीकार करना काफी मुश्किल होगा। पिछले वर्ष भी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं के दौरान कोविड-19 से संबंधित सावधानियों की धज्जियां उड़ाते हुए कई परीक्षा केंद्र देखे गए थे। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की यह सब बातें कागज पर ही अच्छी लगती हैं और जमीनी तौर पर उनमें कोई सत्यता नहीं पाई जाती। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का यह रवैया किसी भी प्रकार से विद्यार्थियों के हित में नहीं है। हम जानते हैं कि आप सक्षम हैं किसी भी प्रकार की परीक्षा कहीं भी कराने के लिए। परंतु हमारा आप से निवेदन है की इस विषय को गंभीरता से लें और विद्यार्थियों की जिंदगी से खेलने का प्रयत्न ना करें। चलिए यदि मान भी लिया जाए कि आप शत प्रतिशत सावधानी बरतते हुए परीक्षाएं करवा लेंगे तो आज की स्थिति पर दृष्टि डालिए।
आज लगभग हर परिवार कोविड-19 की दूसरी लहर से जूझ रहा है। लगभग हर परिवार में या तो उनके परिवार जनों की या मित्रों की मृत्यु के कारण मानसिक संताप का अनुभव किया जा रहा है। पिछले 1 वर्ष से स्कूलों द्वारा सिर्फ ऑनलाइन क्लासेज के अलावा एक क्लास भी भौतिक रूप से नहीं ली गई है। विद्यार्थी घर पर लॉकडाउन में उसी प्रकार की स्थिति में लगभग 1 वर्ष से सामाजिक दूरी आदि बनाए रखने के कारण अकेलेपन एवं मानसिक अवसाद का अनुभव कर रहे हैं। घर से निकलना बंद है, दोस्त से मिलना बंद है, गली मोहल्ले के पार्क में खेलना बंद है, खेलकूद परिसरों में जाकर शारीरिक व्यायाम या खेलकूद करना बंद है, विद्यालयों में जाना बंद है, रिश्तेदारों से मिलना बंद है, किसी प्रकार के सामाजिक कार्यक्रम शादी ब्याह जन्मदिन आदि में जाना बंद है। सुनने में यह सब एक आसान सा विषय लगता है कि जब सभी बंद है तो विद्यार्थियों को इस से क्या फर्क पड़ता है।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं सरकार को यह समझना होगा कि इस प्रकार के कई अध्ययन करने पर पूरे विश्व में यह पाया गया कि इस वैश्विक महामारी के दौरान ना सिर्फ विद्यार्थियों में अपितु उनके माता-पिता एवं अभिभावकों में कई प्रकार की मानसिक बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं। और इससे अधिक चिंता का विषय यह है कि महामारी के दौरान सामाजिक दूरी की व्यवस्था बनाए रखने के कारण मनोविज्ञान चिकित्सक इन बच्चों एवं उनके माता पिता के इलाज के लिए उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं जिसके कारण यह मानसिक बीमारियां भयंकर रूप धारण कर रही हैं। इसी प्रकार के माहौल में जब केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड इस विषय को समझने में या तो असक्षम है या जानबूझकर समझना नहीं चाह रहा है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को यह भी समझना होगा कि आज के आधुनिक परिवेश में इनके द्वारा दिए गए अंकों की कोई कीमत नहीं है। हर विश्वविद्यालय या शैक्षणिक संस्थान अपने पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने के लिए प्रवेश परीक्षा जैसे NEET, CLAT, AILET आदि के माध्यम से ही प्रवेश देता है। इस वर्ष से केंद्रीय विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय सामूहिक रूप से प्रवेश परीक्षा के विषय में सोच रहे हैं। आज की परिस्थितियों को देखते हुए सरकार को चाहिए कि विद्यार्थियों एवं उनके परिजनों की मांग को स्वीकार करते हुए 12वीं कक्षा की परीक्षाओं को रद्द करें। विद्यार्थियों को उनकी दसवीं कक्षा के अंकों के आधार पर एवं आंतरिक आंकलन में उपलब्ध अंकों के आधार पर उत्तीर्ण कर दिया जाए। यदि किसी विद्यार्थी को विदेश जाने अथवा किसी और प्रक्रिया के लिए 12वीं कक्षा की परीक्षा देना अनिवार्य है तो वह बोर्ड से निवेदन कर बोर्ड द्वारा निर्धारित समय एवं स्थान पर परीक्षा में बैठ सकता है। हमें उम्मीद है कि सरकार एवं केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परिस्थितियों की गंभीरता को समझेंगे और शीघ्र इस विषय में निर्णय लेकर विद्यार्थियों में खेल रहे तनाव एवं मानसिक अवसाद को आगे बढ़ने से रोकेंगे।
लेखक, डॉ राजेश बंसल, फोर्थ एस्टेट न्यूज़ के मुख्य कार्यकारी संपादक हैं।
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