उच्च आयकरदाताओं को एक विशेष दर्जा दिया जाए तो अधिक से अधिक करदाता अपनी जिम्मेदारी समझ पाएंगे और कर भुगतान के लिए प्रेरित होंगे।
अनुज जयकरण
पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईमानदार करदाताओं के लिए ‘ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन – ऑनरिंग द ऑनेस्ट (पारदर्शी कराधान – ईमानदार का सम्मान’ नाम से एक प्रोग्राम लॉन्च किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री का कहना है कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य अनुपालन को आसान बनाना और रिफंड में तेजी लाना है, जिसका सीधी फायदा ईमानदार करदाताओं को मिलेगा। यानी ईमानदार करदाताओं के सम्मान में यह एक छोटी सी पहल है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में आयकर दाताओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इस महत्व पर जोर देते हुए बहुत पहले ही कुछ देशों में स्वैच्छिक और बड़े आयकर दाताओं को लुभाने और टैक्स चुकाने के महत्व समझाने के लिए कुछ नायाब तरीके अख्तियार किए गए हैं। इसके तहत लॉटरी सिस्टम से लेकर कुछ स्वाधिकार देने के भी उदाहरण हैं, जिसका जादुई असर देखा गया है और इससे ईमानदारी से टैक्स जमा करने का नया कल्चर विकसित हुआ है।
वर्ष 2008 से जापान में होमटाउन डोनेशन की योजना चलाई गई है। इसके तहत करदाता अपनी मर्जी से अपने क्षेत्र में टैक्स की रकम से अपने होमटाउन के विकास में योगदान कर सकते हैं। इसका नतीजा यह निकला कि टैक्स डोनेशन की राशि एक हजार करोड़ येन से बढ़कर 2016 तक 20 हजार करोड़ येन हो गई। वर्ष 2011 के भूकंप के बाद जापान को संवारने में इस सिस्टम से बड़ी सहायता मिली। माल्टा छोटा सा यूरोपीय देश है। यहां करदाताओं के नाम से लॉटरी निकाली जाती है। लक्की विनर को कर की राशि का सौ गुना भुगतान किया जाता है। ताइवान, स्लोवाकिया, पुर्तगाल में भी करदाताओं के लिए लॉटरी जैसी व्यवस्था है, जिससे करदाताओं को लगता है कि उनका कर चुकाना कितना महत्वपूर्ण है। अपने देश की बात करें तो ज्यादा से ज्यादा लोगों की कोशिश रहती है कि चुराकर बिजली इस्तेमाल कर लें, कर बचाने के फंडे अपना लें। यह कंपनी वाले ऐसी कर चोरियों को छिपाने के लिए दक्ष कर्मचारी भी रखते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी ईमानदार कारोबारी हैं, जो अपनी शाख को तवज्जों देते हैं और नियम का पालन भी करते हैं। ऐसी कंपनी वाले समय पर टैक्स भी चुका रहे हैं, अपने कर्मचारियों की परवाह भी कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जो ड्यूटी की चोरी करते हैं, पकड़े जाने पर उन्हें जुर्माना और यहां तक की जेल की सजा का भी प्रावधान है, पर जो स्वैच्छा से ड्यूटी भरते हैं, क्या समाज में उनकी पहचान बन पाती है?
भारत में निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए निर्यातकों को उनके निर्यात क्षमता के आधार पर स्टार देने सिस्टम है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले निर्यातकों को कुछ स्वाधिकार यानी विशेषाधिकार दिए गए हैं। इसमें एक से लेकर पांच स्टार देने की प्रक्रिया है। स्टार के हिसाब से उन्हें स्वाधिकार दिए गए हैं। तीन वित्तीय वर्षों में से दो में निर्यात प्रदर्शन की कुछ न्यूनतम राशि सफलतापूर्वक हासिल करने की शर्त है। स्टार एक्सपोर्ट हाउस के रूप में पहचाने जाने वाले निर्यातकों को कुछ लाभ और विशेषाधिकार दिए गए हैं। जैसे आयात और निर्यात दोनों के लिए प्राधिकरण और सीमा शुल्क निकासी को स्व-घोषणा के आधार पर अनुमति दी जा सकती है। साफ-सुथरी छवि वाले निर्यातक को विदेश व्यापार संवर्धन के तहत योजनाओं के लिए बैंक गारंटी प्रस्तुत करने की छूट दी गई है। राजस्व दिशानिर्देशों के अनुसार स्थापित करने के लिए दो और उससे अधिक स्टार वाले निर्यातकों को एक्सपोर्ट हाउसवेयर स्थापित करने की अनुमति है। केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार, तीन सितारा और इससे अधिक निर्यात वाले निर्यातकों को मान्यता प्राप्त ग्राहकों खेपों को संभालने के दौरान अधिमान्य और प्राथमिकता उपचार के हकदार होंगे। इसके अतिरिक्त कई छूट दी गई है। जो एक्सपोर्टर अपना माल खुद तैयार करते हैं, वे भारत से उत्पन्न माल को को स्व-प्रमाणित करने का अधिकार पा लेते हैं। हालांकि कुछ स्टार होल्डर एक्सपोर्टर्स अपने स्वाधिकार का दुरुपयोग भी करते हैं, जिसकी खबरें आती रहती हैं। परंतु सबसे बड़ी बात है कि जो ईमानदार हैं उन्हें सतत प्रोत्साहन मिलता रहता है, जो किसी भी देश के विकास में महत्वपूर्ण है।
स्वेच्छिक और ईमानदार करदाताओं को समाज और राष्ट्र का संवेदनशील सेवक कहा जा सकता है। उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए समाज में उनकी विशेष पहचान बने तो हमारे देश में भी ऐसे करदाताओं की कतार लग जाएगी। उच्च आयकरदाताओं को एक विशेष दर्जा दिया जाए तो अधिक से अधिक करदाता अपनी जिम्मेदारी समझ पाएंगे और कर भुगतान के लिए प्रेरित होंगे। ऐसे करदाताओं की कुछ श्रेणियां बनाई जानी चाहिए, जिस प्रकार से निर्यातकों के लिए स्टार एक्सपोर्ट हाउस का प्रावधान है।
इसी तरह इमानदारी से उच्च दर पर भारी राशि सरकारी खजाने में जमा कराने वाले इनकम टैक्सपेयर्स को विशेष स्टार रेटिंग देकर सम्मानित किया जा सकता है। इसमें उन संकेतिक विशेषाधिकारों को शामिल किया जा सकता है, जिससे सरकार पर किसी तरह का अधिभार न बढ़े और ऐसे करदाताओं को प्रोत्साहन और प्रेरणा मिले। जैसे कि रेलवे बुकिंग में प्राथमिकता, एयरपोर्ट लाउंज की पहुंच वाले एयरपोर्टर्स को बोर्डिंग और इमिग्रेशन में प्राथमिकता, शुल्क के साथ सरकार के गेस्ट हाउस और सर्किट हाउस को करने के लिए मुहैया कराना , सरकारी अधिकारियों से मिलने में प्राथमिकता, फाइलों की प्रोसेसिंग में प्राथमिकता। टोल गेट्स पर आपातकालीन लेन की सुविधा ताकि उन्हें इंतजार न करना पड़े। ये कुछ उदाहरण जो लोगों को ईमानदारी से अधिक कर का भुगतान करने के लिए आकर्षित कर सकते हैं। इसी प्रकार इन व्यापारियों को जो कि अपने जीवन के युवा काल में देश के लिए मेहनत से देश की तरक्की में सहायता कर रहे हैं, उनके लिए एक वृद्ध पेंशन योजना, उनके द्वारा दिए गए आयकर की एक निर्धारित अनुपात अनुसार, लागू करने से उन्हें यह लगेगा उनके बारे में सोचने वाला भी कोई है। वित्त मंत्र इस विषय पर विचार करें तो व्यापारी वर्ग को काफी प्रोत्साहन मिलेगा और ईमानदार करदाता की संख्या में वृद्धि होगी।
अनुज जयकरन एक स्वदेशी एवं राष्ट्रवादी चिंतक और विचारक हैं।
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लेख काफी प्रशंसनीय है, लेकिन इस विषय में प्रश्न यह भी है कि सरकार वित्तीय लाभ के लिए भारतीय संविधान नागरिकों के मध्य भेदभाव की अनुमति देगा।
Good thought sir